ऐ सितमगार ऐ हवा-सूरत गाहे-गाहे हमें दिखा सूरत कोई सूरत नहीं है अब मुमकिन है यही एक मुमकिना सूरत जान में जान आई मुद्दत बा'द जब नज़र आई आश्ना सूरत गुफ़्तुगू ग़ैर से रही उस की मैं फ़क़त देखता रहा सूरत ज़ेहन-ओ-दिल में समाएगी कैसे ये तसव्वुर से मावरा सूरत पार्कों में दिखाई देती है एक से एक दिलरुबा सूरत देख लेता है आदमी सब कुछ याद होती है आइना-सूरत दिल में भरती है वसवसे 'नामी' ये तुम्हारी ख़फ़ा-ख़फ़ा सूरत