ऐ यास मिरा घर तिरा मस्कन तो नहीं है दिल है ये तमन्नाओं का मदफ़न तो नहीं है क्या बात है गुलज़ार है क्यूँ बर्क़ से महफ़ूज़ बे-बर्ग मिरी शाख़-ए-नशेमन तो नहीं है हाँ दीदा-ए-तहक़ीक़ से ऐ ज़ौक़-ए-सफ़र देख रहबर जिसे समझा है वो रहज़न तो नहीं है तकलीफ़ असीरी की शिकायत न कर ऐ दिल ये कुंज-ए-क़फ़स कुंज-ए-नशेमन तो नहीं है आओ कि तमन्नाओं में है ताब-ए-नज़ारा ये दिल है मिरा वादी-ए-ऐमन तो नहीं है छू कर ही जिसे आतिश-ए-दोज़ख़ हुई ठंडी दामन ये किसी रिंद का दामन तो नहीं है मंज़ूर है कुछ जाँच तिरे अज़्म की उस को दर-अस्ल ज़माना तिरा दुश्मन तो नहीं है बे-सई-ए-अमल ख़ाक है इंसान को जीना ये रज़्म-ए-गह-ए-ज़ीस्त है मदफ़न तो नहीं है सय्याद इजाज़त कि ज़रा देख तो आऊँ जलता है जो वो मेरा नशेमन तो नहीं है देखो तो रहा दश्त-नवर्दी पे जो नाज़ाँ वो 'अर्श' रवाँ जानिब-ए-गुलशन तो नहीं है