एक बर्छी से मार जाते हो दर पर आ जब पुकार जाते हो हम से बदते हो शर्त फिर देखो बार बार हार हार जाते हो उसी रस्ते से देखता हूँ मैं जब न तब हो दो-चार जाते हो भला जाते तो हो खड़े ही खड़े हम से हो हम-कनार जाते हो यूँ चढ़ा जूता कस कमर हो चले जब से गंगा के पार जाते हो याद में किस की ग़ुन-ग़ुना-उन्ना यूँ बजाते सितार जाते हो 'अज़फ़री' किस के शौक़ में दौड़े नंगे पा मुँह-नहार जाते हो