इक बेवफ़ा की याद से लड़ते हुए मरे हम ऐसे बद-नसीब सँभलते हुए मरे निकली है जैसे जान हमारी ख़ुदा करे ऐसे न कोई और तड़पते हुए मरे परवरदिगार हम को मोहब्बत नहीं मिली हम लोग उस ग़िज़ा को तरसते हुए मरे हम को हमारी मौत का दुख इस लिए भी है हम लोग एहतियात से चलते हुए मरे तेरी ही ज़िद थी दोस्ता तेरे लिए कोई ता-उम्र तेरा रास्ता तकते हुए मरे हम साँस साँस दर्द की आग़ोश में रहे हम साँस साँस दर्द से मरते हुए मरे इस वास्ते ही क़ीमतें रक्खी हैं बरक़रार हम जानते थे हम जहाँ सस्ते हुए मरे