इक दिया दिल में जलाता है चला जाता है वो मुझे देख के रुकता है चला जाता है उस के जैसा कोई बे-दर्द नहीं हो सकता दिल में जज़्बात जगाता है चला जाता है तीन ही काम मोहब्बत में तुझे आते हैं लौट आता है रुलाता है चला जाता है उस के हाथों में तबाही के सिवा कुछ भी नहीं कच्चे फल काट गिराता है चला जाता है छोड़ जाता है तज़ब्ज़ुब में वो मुझ को 'फ़ैसल' दास्ताँ आधी सुनाता है चला जाता है