एक दूजे के क़रीं बैठ के रो लेते हैं जहाँ कहता है वहीं बैठ के रो लेते हैं मैं बहुत जल्द ज़माने से बिछड़ जाऊँगा आइए मुझ को कहीं बैठ के रो लेते हैं आज का रोना कभी कल पे नहीं टाला है जहाँ का ग़म हो वहीं बैठ के रो लेते हैं मुझ को मालूम है वो इतना न रो पाएगा इस लिए यार हमीं बैठ के रो लेते हैं वहाँ मय्यत की समाअ'त पे गराँ गुज़रेगा मैं तो कहता हूँ यहीं बैठ के रो लेते हैं एक हम हैं जिन्हें फ़ुर्सत ही नहीं मिलती 'अक़ील' वर्ना तो लोग कहीं बैठ के रो लेते हैं