इक दूसरे में डूब के हम पार हो गए इस बार यूँ मिले हैं कि सरशार हो गए वैसे शुरूअ' में हमें दुश्वारियाँ हुईं फिर उस के बा'द हम भी अदाकार हो गए इस जिस्म को तवज्जोह का फ़ुक़्दान ले गया तुम ने छुआ नहीं है तो मिस्मार हो गए कल का किसे पता मगर इतना ज़रूर है हम लोग ज़ेहनी तौर पे तय्यार हो गए दरिया न दूरियों का कभी पार हो सका कश्ती में पाँव रखते ही बेदार हो गए मिट्टी के साथ ज़ेहन को भी कुछ नुमू मिली बारिश हुई तो थोड़े से अशआ'र हो गए