इक फ़साना है ख़्वाब है दुनिया सर-ब-सर इक सराब है दुनिया हादसों का निसाब है दुनिया ज़िंदगी की किताब है दुनिया इस को तश्बीह दें तो दें किस से ख़ुद ही अपना जवाब है दुनिया फ़ैसला उम्र भर नहीं होता ख़ूब है या ख़राब है दुनिया है ये इशरत-कदा किसी के लिए और किसी को अज़ाब है दुनिया चैन इंसान को नहीं पल भर आलम-ए-इज़्तिराब है दुनिया जिस की होती नहीं कोई ता'बीर वो सुहाना सा ख़्वाब है दुनिया इस का जो ग़म है ला-जवाब है 'शाज़' वो ग़म-ए-बे-हिसाब है दुनिया