इक जैसा बरताव हो कैसे कच्चे सच और झूट के साथ कोई क़तार में लग कर आया कोई पैराशूट के साथ उस ने भी कम वक़्त लगाया आज अपनी तय्यारी में मैं भी मैच नहीं कर पाया टाई उस के सूट के साथ मेरा इश्क़ तो ख़ैर मिरी महरूमी का पर्वर्दा था क्या मालूम था वो भी देगा मेरा इतना टूट के साथ होते होते होगा वस्ल हमारा पाक तकल्लुफ़ से पैर अभी मानूस नहीं है नए नवीले बूट के साथ हार और जीत की पूरी ज़िम्मेदारी लेनी पड़ती है उज़्र उस चालाक से कोई कैसे खेले छूट के साथ