इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा भागता हूँ हर तरफ़ ऐसे हवा के साथ साथ जिस तरह सच-मुच मुझे उस का पता मिल जाएगा किस तरह रोकोगे अश्कों को पस-ए-दीवार-ए-चश्म ये तो पानी है इसे तो रास्ता मिल जाएगा एक दिन तो ख़त्म होगी लफ़्ज़ ओ मा'नी की तलाश एक दिन तो मुझ को मेरा मुद्दआ मिल जाएगा एक दिन तो अपने झूटे ख़ोल को तोड़ेगा वो एक दिन तो उस का दरवाज़ा खुला मिल जाएगा जा रहा हूँ इस यक़ीं से उस के छोड़े घर की सम्त जैसे वो बाहर गली में झाँकता मिल जाएगा छोड़ ख़ाली घर को आ बाहर चलें घर से 'अदीम' कुछ नहीं तो कोई चेहरा चाँद सा मिल जाएगा तेज़ होती जा रही हैं धड़कनें ऐसे 'अदीम' जैसे अगले मोड़ पर वो बे-वफ़ा मिल जाएगा