एक मंज़िल है एक जादा है ज़िंदगी मेरी कितनी सादा है तू मुझे अपना एक पल देगा ये करम मुझ पे कुछ ज़ियादा है जो रुके हैं सवार हैं सारे चलने वाला तो पा-प्यादा है सिद्क़-ए-दिल से पुकारना मुझ को लौट आऊँगा मेरा वादा है फिर जो करने लगा है तू व'अदा क्या मुकरने का फिर इरादा है ज़र्फ़-ए-दुनिया जो तंग है 'तैमूर' तेरा दिल भी कहाँ कुशादा है