इक निहत्ता आदमी तदबीर से क्या लड़े तक़दीर की शमशीर से मुस्कुराना ज़ेर-ए-लब हर वक़्त ही कोई सीखे आप की तस्वीर से फूल से पेश आइए नर्मी के साथ काटिए शमशीर को शमशीर से दिल में तेरी याद से है रौशनी आँख रौशन है तिरी तस्वीर से अपने दीवाने की बेताबी का हाल पूछिए टूटी हुई ज़ंजीर से