जाने किस ख़ाक से बना है वो झूट पर झूट बोलता है वो आदी मुजरिम हैं हम मोहब्बत के हम से पूछो कहाँ बिका है वो लड़ के मैसेज करेगा सूरी का ऐसे पहले भी कर चुका है वो क्या हमें भी मुआ'फ़ कर देगा रख-रखाव तो जानता है वो उस कमीने की बात करते हो ख़ैर हम को तो मानता है वो कूज़ा ख़ुद बोल कर बताएगा चाहतों से बना हुआ है वो हर किसी से नहीं लगाता दिल यार इतना तो पारसा है वो मैं ने सीने लगा के चूमा नहीं 'कामिल' इस बात पर ख़फ़ा है वो