एक पत्थर कि दस्त-ए-यार में है फूल बनने के इंतिज़ार में है अपनी नाकामियों पे आख़िर-ए-कार मुस्कुराना तो इख़्तियार में है हम सितारों की तरह डूब गए दिन क़यामत के इंतिज़ार में है अपनी तस्वीर खींचता हूँ मैं और आईना इंतिज़ार में है कुछ सितारे हैं और हम हैं 'जमील' रौशनी जिन से रहगुज़ार में है