नारवा है किसी की हमराही राह में जा रहा हूँ तन्हा ही फिर भी कैसा नफ़ीस धोका है रंग-ओ-बू है अगरचे धोका ही दिल तिरी याद में तड़पता है जैसे बे-आब हो कोई माही फ़ैज़ साक़ी का आम था हर-चंद हम को रहना मगर था प्यासा ही आदमी तो फ़क़ीर ही सा है ठाट हैं 'शाद' के मगर शाही