एक रंगीन कहानी है तिरे शहर की रात हाए ये किस की जवानी है तिरे शहर की रात बस यूँ ही ज़ुल्फ़ बिखेरे हुए आ जा ऐ दोस्त आज किस दर्जा सुहानी है तिरे शहर की रात रेगज़ार-ए-दिल-ए-शाइ'र के लिए जान-ए-ग़ज़ल मौज-ए-दरिया की रवानी है तिरे शहर की रात दिल की इस कोहर-ज़दा यास भरी बस्ती में तुझ से ही माँग के लानी है तिरे शहर की रात बार हो जाएगा ज़ेहनों पे तसव्वुर दिन का आज इस तरह जगानी है तिरे शहर की रात वो नहीं है तो ग़मिस्तान-ए-तख़य्युल की क़सम 'होश' अफ़्सुर्दा कहानी है तिरे शहर की रात