इक शहर ज़िया-बार यहाँ भी है वहाँ भी लेकिन मिरा आज़ार यहाँ भी वहाँ भी रौशन मिरे अंदर के अंधेरों में बराबर इक आतिश-ए-पिंदार यहाँ भी है वहाँ भी अहबाब मिरे एक ही जैसे हैं जहाँ हैं इक जज़्बा-ए-ईसार यहाँ भी है वहाँ भी इक सुब्ह तिरे साथ कई मील चले थे उस सुब्ह का असरार यहाँ भी है वहाँ भी गर साथ अज़ीज़ो न मयस्सर हो तुम्हारा जीना मिरा बेकार यहाँ भी है वहाँ भी है जिस की रवानी से लहू गर्म हमारा वो चश्मा-ए-बेदार यहाँ भी है वहाँ भी आँखों से मिरे दिल में समाया है जो 'अशहर' उस शोख़ की सरकार यहाँ भी है वहाँ भी