इक तबस्सुम हयात फूलों की देख ली काएनात फूलों की ख़ूब रोई है रात भर शबनम किस ने छेड़ी है बात फूलों की महकी महकी हवाओं के झोंके साथ लाए बरात फूलों की शाख़ पर हों कि उन के जूड़े में उम्र है एक रात फूलों की जब हुई सर्द आतिश-ए-नमरूद बन गई काएनात फूलों की 'शाद' मुरझा गए तो गुलशन में कौन पूछेगा बात फूलों की