एक तमन्ना लाखों लाशें ख़्वाहिश पूरी बाक़ी बातें तेरा चेहरा देखना चाहें तारीकी हैं अंधी आँखें अपनी मंज़िल उजड़ी क़ब्रें अपनी दौलत सूखी घासें छाया सहमी काँप रही है उस का आँगन उस की शाख़ें वक़्त का पहिया इतना धीमा कब तक अंगारों पर रातें क्या बोलें क़िस्मत के मारे छागल ख़ाली रिसती आँखें तेरे जाते ही 'यहया' से दामन-कश बरखा की रातें