हुस्न को आज़मा के देख लिया दिल पे इक ज़ख़्म खा के देख लिया होश अपने तो उड़ गए ज़ालिम तुम को अपना बना के देख लिया यार मतलब-परस्त सब निकले हर तरह आज़मा के देख लिया कुछ नहीं है हमारे बस में अब ज़ोर सारा लगा के देख लिया दाद कोई मिरी नहीं सुनता हाकिमों को बता के देख लिया वो असीरान-ए-नफ़्स थे 'ज़ाहिद' उन को काबा बना के देख लिया