इक तमाशा ज़ात का अपनी बना कर देख लो क़िस्सा-ए-ग़म अपने लोगों को सुना कर देख लो वो धुआँ होगा कि फिर बे-मौत मर जाएँगे लोग ये चराग़-ए-इश्क़ है इस को बुझा कर देख लो इक न इक दिन चीख़ बन कर सामने आ जाएँगी ख़्वाहिशों को आप भी अपनी दबा कर देख लो दर्द के नग़्मात दुनिया में कोई सुनता नहीं तुम को ख़्वाहिश है सुनाने की सुना कर देख लो सारी दुनिया के हसीं मंज़र नज़र में आएँगे तुम कभी बज़्म-ए-मोहब्बत में तो जा कर देख लो कोशिशें जितनी करो तुम भूल जाने की मगर भूलना आसान है क्या आज़मा कर देख लो नक़्श-ए-अव्वल हूँ कोई हर्फ़-ए-ग़लत तो हूँ नहीं तुम मिटाना चाहते हो तो मिटा कर देख लो दोस्त दुश्मन सब नज़र आ जाएँगे 'नुसरत' तुम्हें वो जो दिल में है उसे होंटों पे ला कर देख लो