फ़ज़ा में फैली हुई तीरगी में शामिल हूँ सुकूत-ए-शब मैं तिरी ख़ामुशी में शामिल हूँ है बुज़दिली की अलामत ये ख़ामुशी लेकिन मैं अपने अहद की इस बुज़दिली में शामिल हूँ अयाँ ज़माने में तू भी नहीं है और मैं भी बहुत सी बातों की पोशीदगी में शामिल हूँ सुना तो ख़ूब गया है मुझे मगर फिर भी ये लग रहा है किसी अन-कही में शामिल हूँ यही नहीं कि ज़बानें हुई हैं ज़हरीली मैं उन के ज़ेहन की आलूदगी में शामिल हूँ अगर ये सच है तो महसूस क्यों नहीं होता ऐ वक़्त मैं तिरी मौजूदगी में शामिल हूँ क़फ़स में जो ये परिंदा है ताक में 'नुसरत' मैं उस के जज़्बा-ए-आमादगी में शामिल हूँ