फ़ज़ा-ए-शाम ज़िया-ए-सहर उसी से मिली कशिश हयात को अल-मुख़्तसर उसी से मिली उसी से मुझ को मिला इश्तियाक़ मंज़िल का मिरे सफ़र को फ़ज़ा-ए-सफ़र उसी से मिली बुलंद मर्तबा-ए-मुश्त-ए-ख़ाक उसी ने किया तमाम फ़हम-ओ-ज़का-ओ-नज़र उसी से मिली ग़ुरूर ख़ुद पे जिसे जिस क़दर भी हो लेकिन मिली जिसे भी मता-ए-हुनर उसी से मिली उसी ने ज़ुल्मत-ए-गुम-गश्तगी को दूर किया तलाश-ए-हक़ को रह-ए-मो'तबर उसी से मिली अता करेगा हमें भी वही रिदा-ए-ज़िया कि जुगनुओं को क़बा-ए-शरर उसी से मिली वो बे-ख़बर है नहीं एहतिराम जिस को ख़बर कि आदमी को मिली हर ख़बर उसी से मिली