फ़क़त दीवार का दर का तहफ़्फ़ुज़ हो उस से क्या मिरे घर का तहफ़्फ़ुज़ हमारी ज़ात है बार-ए-गराँ कब मगर इक मसअला सर का तहफ़्फ़ुज़ अली की ज़ात का ये फ़ल्सफ़ा है इबादत है पयम्बर का तहफ़्फ़ुज़ हैं आँखें आइना दिल का यक़ीनन हुआ दूभर खुले घर का तहफ़्फ़ुज़ ये शान-ए-रब नहीं तो और क्या है करें काँटे गुल-ए-तर का तहफ़्फ़ुज़ दिफ़ा-ए-नफ़्स में ये घूमता है भँवर से है समुंदर का तहफ़्फ़ुज़ हवाओं की नज़र इस बात पर है कि हो कैसे बवंडर का तहफ़्फ़ुज़ मियाँ-'हस्सास' क्यूँ हो ज़िद पे माइल कोई करता है क्या शर का तहफ़्फ़ुज़