जहान-ए-ताज़ा के अफ़्कार साथ ले जाओ मिरी ग़ज़ल मिरे अशआ'र साथ ले जाओ क़दम क़दम पे यहाँ डिग्रियाँ तो मिलती हैं ख़ुदा के वास्ते मेआ'र साथ ले जाओ रह-ए-हयात में इंसानियत भी बिकती है ज़रा सँभाल के किरदार साथ ले जाओ दयार-ए-ग़ैर में पूछेगा ख़ैरियत कोई तुम अपने शहर का अख़बार साथ ले जाओ दिलों के बीच जहाँ हो अदावतों की ख़लीज वहाँ ख़ुलूस की पतवार साथ ले जाओ