फ़लक पर एक तारा रह गया है यही बस इक सहारा रह गया है अधूरा-पन लिए फिरते हैं अब तो कहीं पर कुछ हमारा रह गया है नज़र में हैं समंदर ही समंदर बहुत पीछे किनारा रह गया है कहाँ वो जा सका तेरे नगर से जिसे तू ने पुकारा रह गया है पढ़े 'फ़ारूक़' हम ने सब मुजल्ले मगर दिल का शुमारा रह गया है