फ़क़त आसानियाँ होतीं तो आसानी से मर जाते परेशाँ गर नहीं होते परेशानी से मर जाते ख़ुदा का शुक्र है तुम से मिले थे ख़्वाब में वर्ना हक़ीक़त में ये सब होता तो हैरानी से मर जाते ये सब महरूम जीते हैं किसी उम्मीद-ए-फ़र्दा पर इन्हें सब कुछ ही मिल जाता फ़रावानी से मर जाते हम अहल-ए-दश्त को मुश्किल-पसंदी रास आती है कोई मुश्किल नहीं होती तन-आसानी से मर जाते ख़िरद ने उम्र भर ही इम्तिहानों में रखा हम को 'सग़ीर' इस से तो अच्छा था कि नादानी से मर जाते