फ़रिश्तों से मोहब्बत कर रहे हैं जवानी में इबादत कर रहे हैं वो अब खुल कर इनायत कर रहे हैं शरारत बा-जमाअत कर रहे हैं फ़क़ीरों को अमीरी मिल गई है ज़मीं पर बादशाहत कर रहे हैं ख़ुदावंदा तेरे मा'सूम बंदे वफ़ा की फिर हिमाक़त कर रहे हैं हमारी राह में काँटे बिछा कर सितम वो हस्ब-ए-आदत कर रहे हैं नज़र आ कर उतर जाते हैं दिल में ये चेहरे क्या क़यामत कर रहे हैं ज़माना राह पर आ जाए 'ताबिश' ये ख़्वाहिश मा-बदौलत कर रहे हैं