फ़रज़ाना हूँ और नब्ज़-शनास-ए-दो-जहाँ हूँ दीवाना हूँ और बे-ख़बर-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ हूँ हालाँकि मैं हर वक़्त वहीं हूँ वो जहाँ हैं वो सोचते रहते हैं मैं क्या जाने कहाँ हूँ मेरी ही तरफ़ है निगराँ वक़्त की देवी हर अहद में हर दौर में तक़दीर-ए-जहाँ हूँ मुहताज-ए-तवज्जोह मिरी हर नर्गिस-ए-मख़मूर ऐ दोस्त जवाँ हूँ मैं जवाँ हूँ मैं जवाँ हूँ मुझ ही से इबारत है ये तंज़ीम-ए-गुलिस्ताँ मैं ख़ंदा-ए-गुल ही नहीं काँटों की ज़बाँ हूँ क़ाएम है मुझी से मिरे अस्लाफ़ की अज़्मत मैं अपने बुज़ुर्गों की सदाक़त का निशाँ हूँ नग़्मों ने मिरे धूम मचा दी है चमन में 'जावेद' मैं इक तंज़ पय-ए-नौहा-गराँ हूँ