फेर कर तेग़-ए-नज़र तेग़-ए-जफ़ा से पहले मार डाला मुझे ज़ालिम ने क़ज़ा से पहले अब मिरा ख़ून-ए-जिगर हाथों में मलते हैं वो उस से नफ़रत थी जिन्हें रंग-ए-हिना से पहले ज़ुल्फ़ में छूने न पाया कि बंधे मेरे हाथ दी सितमगर ने सज़ा मुझ को ख़ता से पहले शौक़-ए-दीदार की तेज़ी से मैं अक्सर हर सुब्ह कूचा-ए-यार में जाता हूँ सबा से पहले ऐसी तासीर पे सौ जान से सदमे क़ुर्बां मेरे घर आ गए वो मेरी दुआ से पहले पास 'साबिर' का बुतो आज न करना पड़ता दूर रहते अगर इस मर्द-ए-ख़ुदा से पहले