फ़िक्र-ए-रंज-ओ-अलम और मैं हमराही इक ग़म और मैं तेरी बातें करते हैं रात दवात क़लम और मैं तुझ को ढूँडते रहते हैं मेरी चश्म-ए-नम और मैं पास है मेरे इंटरनेट हाथ में जाम-ए-जम और मैं एक तो तेरी कज-ख़ु्ल्क़ी फिर दुनिया के सितम और मैं कब तक साथ जलें 'राशिद' हिज्र के ये मौसम और मैं