फिर हुजूम-ए-ग़म-ए-जानाँ है ख़ुदा ख़ैर करे फिर मिरी मौत का सामाँ है ख़ुदा ख़ैर करे उन को सूझी है तग़ाफ़ुल की रिवायात-ए-कुहन ज़िंदगी मुझ से गुरेज़ाँ है ख़ुदा ख़ैर करे खुल न जाए कहीं ऐसे में सितारों का भरम वा नक़ाब-ए-रुख़-ए-जानाँ है ख़ुदा ख़ैर करे अपनी ही आग में जल जाए न दामान-ए-हयात हर नफ़स शो'ला-ब-दामाँ है ख़ुदा ख़ैर करे ये जवानी ये तबस्सुम ये निगाहों का फ़ुसूँ कश्मकश में मिरा ईमाँ है ख़ुदा ख़ैर करे दस्त-ए-नाज़ुक में तिरे रंग-ए-हिना के बदले सुर्ख़ी-ए-ख़ून-ए-शहीदाँ है ख़ुदा ख़ैर करे पीछे पीछे चले आते हैं मिरे दैर-ओ-हरम सामने मंज़िल-ए-जानाँ है ख़ुदा ख़ैर करे आज फिर दिल का हर इक ज़ख़्म उभर आया है आज फिर कोई ग़ज़ल-ख़्वाँ है ख़ुदा ख़ैर करे रंग ला कर ही रही अगली जवानी 'मुख़्तार' दस्त-ए-वहशत में गरेबाँ है ख़ुदा ख़ैर करे