फिर कोई मुश्किल जवाँ होने को है दोस्तों का इम्तिहाँ होने को है झोंके दम साधे खड़े हैं चार-सू कोई हंगामा यहाँ होने को है भीग जाने पर भी जो बुझता न था आज वो शो'ला धुआँ होने को है ये बहारें और गुल बूटे निढाल फ़स्ल-ए-गुल दौर-ए-ख़िज़ाँ होने को है ज़िंदगी से कीजिए उम्मीद क्या ज़िंदगी ख़ुद राएगाँ होने को है ज़ब्त का हद से गुज़रना देखिए राज़ आँखों से बयाँ होने को है मंज़िल-ए-मक़्सूद जब आई नज़र राहबर संग-ए-गराँ होने को है