कटी पतंग हूँ मैं और बे-सहारा हूँ मुझे कहा नहीं उस ने कि मैं तुम्हारा हूँ ये मुझ में आतिश-ए-बे-सोज़ जलती रहती है मैं रौशनी हूँ मैं जुगनू हूँ इस्तिआ'रा हूँ तिरे हुसूल की गर्दिश में खो गई हूँ मैं मुझे बता कि मैं ज़र्रा हूँ या सितारा हूँ मैं एक क़तरा-ए-शबनम हूँ दीदा-वर के लिए जो कज-निगाह हैं उन के लिए शरारा हूँ मैं एक उम्र से बुनती हूँ ख़्वाब चाहत के हिसार-ए-दीदा-ए-नमनाक में ख़सारा हूँ