फिर से तेरा ख़याल आया है दर्द में इक उबाल आया है दाँव पर लग गया हूँ मैं शायद सिक्का कोई उछाल आया है वक़्त मुझ से मिला नज़ाकत से भेड़िया पहने खाल आया है दिल के अंदर दिमाग़ है उस के जिस के दिल में सवाल आया है सूख कर आया है लहू में दम यूँ क़लम में कमाल आया है लाज़मी था उमीद अंधी होना रात के घर जमाल आया है