फिर उस के फंदे में जा रहे हैं कि जिस के फंदे में जा चुके थे वही मुसीबत उठा रहे हैं कि जो मुसीबत उठा चुके थे कहो जो बेजा बजा है मुझ को सज़ा है जो ना-सज़ा है मुझ को कि उन का रोना पड़ा है मुझ को जो मुद्दतों तक रुला चुके थे जो उन की ख़ू थी सो उन की ख़ू है जो गुफ़्तुगू थी सो गुफ़्तुगू है फिर उन पे मिटने की आरज़ू है जो हर तरह से मिटा चुके थे अदू का मैं हूँ अदू मुक़र्रर बराबर आ के हुए बराबर भला बदलता न रंग क्यूँ कर वो रंग अपने जमा चुके थे किसी से कोई न दिल लगाए 'नसीम' क्या कैफ़ियत बताए वही अब आँसू बहाने आए लहू जो मेरा बहा चुके थे