फिर उस रूप में आना तुम फिर से रास रचाना तुम महकों गुलशन गुलशन में मौसम पे छा जाना तुम फिर मैं अँधेरे ओढूँगा फिर इक दीप जलाना तुम बख़्शी तुम ने दिन को रात उजयारा भी लाना तुम जब मैं दूर चला जाऊँ मुझ को पास बुलाना तुम भटकूँ जंगल जंगल मैं शाख़ पे फूल खिलाना तुम 'खुल्लर' मीठे बोल कहे डाली डाली गाना तुम