फिर उसी सम्त है सफ़र मेरा By Ghazal << मिरी चाह में मिरे इश्क़ म... ग़म के सुनसान बयाबाँ से न... >> फिर उसी सम्त है सफ़र मेरा राह रोके खड़ा है डर मेरा कैसे कैसे मकीन थे उस के इतना वीराँ कहाँ था घर मेरा राएगाँ हो गई मिरी मेहनत और ये बे-समर शजर मेरा रास्ता है कि फैलता जाए ख़त्म होता नहीं सफ़र मेरा फिर हुआ यूँ कि पर ही टूट गए बस कहाँ था उड़ान पर मेरा Share on: