फिर वो नज़र है इज़्न-ए-तमाशा लिए हुए तज्दीद-ए-आरज़ू का तक़ाज़ा लिए हुए चश्म-ए-सियह में मस्तियाँ शाम-ए-विसाल की आरिज़ फ़रोग़-ए-सुब्ह-ए-नज़ारा लिए हुए हर एक शख़्स तर्क-ए-तमन्ना का मुद्दई' हर एक शख़्स तेरी तमन्ना लिए हुए कल शब तुलू-ए-माह का मंज़र अजीब था तुम जैसे आ गए रुख़-ए-ज़ेबा लिए हुए दिल आज तक है लुत्फ़-ए-फ़रावाँ से शर्मसार लब आज तक हैं आप का शिकवा लिए हुए