फ़ुसून-साज़ तिलिस्म-ए-शाम तुम्हारे नाम वुफ़ूर-ए-शौक़ ख़ुमार-ए-जाम तुम्हारे नाम ज़मीन-ए-दिल जो हुई तमाम तुम्हारे नाम ये हर्फ़ लफ़्ज़ नवा कलाम तुम्हारे नाम हैं जितने रंग तमाम रंग तुम्हारे हैं रहे सदा ये धनक-निज़ाम तुम्हारे नाम बहुत से नाम हैं हुस्न के मगर असल में अज़ल से हुस्न के सारे नाम तुम्हारे नाम बलाओं की तो बस इब्तिदा हैं क़यामतें बलाओं का मगर इख़्तिताम तुम्हारे नाम