फूल का पैग़ाम ले जाए कोई माली के नाम उस सरापा फ़स्ल-ए-गुल गुलज़ार के वाली का नाम मैं बहादुर-शह-ए-'ज़फ़र' और दर्द का रंगून है क्या लिखूँ 'ग़ालिब' के नाम और क्या लिखूँ 'हाली' के नाम सब्ज़ा-ए-बेगाना हो या लाला-ओ-गुल की क़बा वक़्फ़ है मेरा लहू गुलशन की हरियाली के नाम लिख रहा हूँ अपने हाथों की ख़राशों का सलाम यार के दस्त-ए-हिनाई की हसीं लाली के नाम ऐ नदीम-ए-माह-ओ-अंजुम आ कोई पैग़ाम दे पस्तियों में डगमगाती बे-पर-ओ-बाली के नाम अस्ल में सैल-ए-ख़िज़ाँ लाता है पैग़ाम-ए-बहार हर शगूफ़ा हर कली हर पात हर डाली के नाम तेरा दीवाना 'हज़ीं' मंसूब करता है ब-शौक़ ये ग़ज़ल ऐ इश्क़ तेरी फ़ितरत-ए-आली के नाम