फूल का शाख़ पे आना भी बुरा लगता है तू नहीं है तो ज़माना भी बुरा लगता है ऊब जाता हूँ ख़मोशी से भी कुछ देर के बाद देर तक शोर मचाना भी बुरा लगता है इतना खोया हुआ रहता हूँ ख़यालों में तिरे पास मेरे तिरा आना भी बुरा लगता है ज़ाइक़ा जिस्म का आँखों में सिमट आया है अब तुझे हाथ लगाना भी बुरा लगता है मैं ने रोते हुए देखा है अली बाबा को बाज़ औक़ात ख़ज़ाना भी बुरा लगता है अब बिछड़ जा कि बहुत देर से हम साथ में हैं पेट भर जाए तो खाना भी बुरा लगता है