ग़म भी उतना नहीं कि तुम से कहें और चारा नहीं कि तुम से कहें आज हम बे-कराँ समुंदर हैं तुम वो दरिया नहीं कि तुम से कहें यूँ तो मरने से चैन मिलता है ये इरादा नहीं कि तुम से कहें नीली आँखों की चाँदनी के लिए अब अंधेरा नहीं कि तुम से कहें तुम अकेले नहीं रहे तो क्या हम भी तन्हा नहीं कि तुम से कहें अब न वो ग़म कि अपने हाथ 'उबैद' शबनम-आसा नहीं कि तुम से कहें