ग़म की तहज़ीब अज़िय्यत का क़रीना सीखें आओ इस शहर में जीना है तो जीना सीखें मौत आने की सदा लम्हा-ब-लम्हा चाहें ज़ीस्त करने का हुनर ज़ीना-ब-ज़ीना सीखें हर नहीं हाँ से बड़ी है ये हक़ीक़त समझें हाँ बहुत सीख चुके अब तो कोई ना सीखें झाँक कर आँखों में सीने में उतर कर देखें नक़्शा-ए-दिल से कोई राज़-ए-दफ़ीना सीखें शहर-ए-कोताह में सब पस्त-नशीं पस्त-निशाँ किस को हमराज़ करें किस का क़रीना सीखें फ़ल्सफ़ा इश्क़ का असरार फ़न-ओ-हिकमत के ख़ानक़ाहों से पढ़ें सीना-ब-सीना सीखें दिल तो आईना है शफ़्फ़ाफ़ रखें ऐ 'शाहिद' क्यूँ करें बुग़्ज़-ओ-हसद किस लिए कीना सीखें