ग़म नहीं है चाहे जितनी तीरगी क़ाएम रहे मुझ पे बस तेरी नज़र की चाँदनी क़ाएम रहे इस लिए ओढ़े हुए हूँ मैं ख़िज़ाओं की रिदा मेरे गुलशन की फ़ज़ा में ताज़गी क़ाएम रहे हम-नशीं इतना बता दे क्या करूँ तेरे बग़ैर किस तरह साँसों से आरी ज़िंदगी क़ाएम रहे रंग-ए-उलफ़त की बक़ा के वास्ते मेरे ख़ुदा आशिक़ी क़ाएम रहे और दिलबरी क़ाएम रहे खारे पानी का समुंदर यूँ हुआ मुझ को अता उम्र भर होंटों पे मेरे तिश्नगी क़ाएम रहे जब हरीफ़-ए-जाँ ही दिल की धड़कनों में आ बसे ग़ैर मुमकिन है किसी से दोस्ती क़ाएम रहे बोए 'मीना' रात के खेतों में यूँ सूरज के बीज अपनी कोशिश है जहाँ में रौशनी क़ाएम रहे