ग़म ने दिलों को राम किया और गुज़र गया ज़ालिम ने अपना काम किया और गुज़र गया सय्याद कुछ तो ख़ातिर-ए-अहल-ए-वफ़ा करे ये क्या असीर-ए-दाम किया और गुज़र गया ऐ साक़ी-ए-बहार तिरे ज़ौक़ के निसार हर गुल को एक जाम किया और गुज़र गया आया था बुत-कदा भी मिरी राह-ए-शौक़ में मैं ने तो इक सलाम किया और गुज़र गया ये काएनात है कि किसी ने ब-सद हिजाब इक ख़ास जल्वा आम किया और गुज़र गया आया क़रीब 'कैफ़' कोई मस्त-ए-नाज़-ए-हुस्न डाली नज़र ग़ुलाम किया और गुज़र गया