ग़म सहें या ख़ुशी को प्यार करें कौन सी चीज़ इख़्तियार करें हम ब-क़ैद-ए-क़फ़स चमन से दूर कैसे अंदाज़ा-ए-बहार करें फ़स्ल-ए-गुल आ गई है अहल-ए-जुनूँ फिर गरेबाँ को तार तार करें काली काली घटा में छाई हैं आइए ज़िक्र-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार करें दिल दिया है तो उन के क़दमों पर ज़िंदगानी को भी निसार करें जिस में शामिल हों सब रईस-ओ-ग़रीब ऐसी महफ़िल को बा-वक़ार करें अंजुमन तब कहें जब 'अंजुम' को आप अपना शरीक-ए-कार करें