ग़मों के ये बादल बरसते रहेंगे मोहब्बत की ख़ातिर तरसते रहेंगे मेरे अश्क बन के वफ़ाओं के मोती यूँ आँखों से मेरी छलकते रहेंगे अगर जो मिरे आप हो न सकें तो यहाँ से वहाँ हम भटकते रहेंगे भले ही जलेंगे भले ही मरेंगे सुनो आप ख़ातिर तड़पते रहेंगे कमी से तुम्हारी करें ख़ुद-कुशी गर तो हर रोज़ फाँसी लटकते रहेंगे