गर तुझ में है वफ़ा तो जफ़ाकार कौन है दिलदार तू हुआ तो दिल-आज़ार कौन है नालाँ हूँ मुद्दतों से तिरे साए के तले पूछा न ये कभू पस-ए-दीवार कौन है हर शब शराब-ख़्वार हर इक दिन सियाह है आशुफ़्ता ज़ुल्फ़ ओ लटपटी दस्तार कौन है हर आन देखता हूँ मैं अपने सनम को शैख़ तेरे ख़ुदा का तालिब-ए-दीदार कौन है 'सौदा' को जुर्म-ए-इश्क़ से करते हैं आज क़त्ल पहचानता है तू ये गुनहगार कौन है