ग़रीबों पर नुज़ूल-ए-हर-बला-ए-ना-गहाँ क्यों हो ये वन वे मुस्तक़िल ट्रैफ़िक भला ऐ आसमाँ क्यों हो अगर आना हुआ तो एक फ़िल्मी गीत गाएगा मिरी मय्यत पे वो हस्ब-ए-रिवायत नौहा-ख़्वाँ क्यों हो ये क्या अंदाज़ है यारब समझना जिस को मुश्किल है ज़रीफ़ाना-सितम मर्ग़ूब-ए-ख़ू-ए-दोस्ताँ क्यों हो उठा के सर से ऊँचा पहले वो मुझ को पटख़ते हैं बहुत ही प्यार से फिर पूछते हैं नीम-जाँ क्यों हो मोहब्बत को तो तुम ने कोई टग ऑफ़ वार समझा है न खींचो गर तुम अपने को कशाकश दरमियाँ क्यों हो उसे जब नक़्ल करने की इजाज़त मिल गई तुम से अदू को टॉप करना है तो मेरा इम्तिहाँ क्यों हो बेचारा सच जहाँ से दुम दबा कर कब का भागा है तआ'क़ुब में अभी तक उस के फिर सारा जहाँ क्यों हो दम-ए-गुफ़्तार जो बीवी से अक्सर मात खाता है सर-ए-मिंबर वही वाइ'ज़ बड़ा मोजिज़-बयाँ क्यों हो ग़ुरूर-ए-हुस्न की पस्ती है उस का राज़ ऐ 'क़ाज़ी' जिसे बच्चों से नफ़रत हो वो दस बच्चों की माँ क्यों हो